कुछ सीखा, हमेशा की तरह.
जो चाहता था वो भी मिला,
जिसकी उम्मीद थी वो भी मिला
जिसकी ज़रुरत थी, वो न मिला
कुछ हासिल हुआ, कुछ खो दिया
कुछ जीता, कुछ जीता हुआ खो दिया
कुछ खोया हुआ जीता था, वो भी खो दिया..
कुछ अच्छे लोग मिले,
कुछ बुरे लोग मिले.
कुछ बहुत बुरे लोग मिले,
जो बुरे मिले उनमे कुछ अपने मिले..
जो अपने मिले उनमे कुछ बुराई मिली,
अच्छाई तो थी ही, तभी वो अपने they
कुछ खुद में ढूँढा, बुरा
कुछ बुरा मिला, कुछ कमी मिली.
कुछ कमियों को सुधरने का जरिया मिला,
लेकिन..., कमियों को सुधरने का मौका नहीं मिला......
सुकून है, कमियों के बारे में पता तो चला,
क्या पता, अगली बार मौका मिल जाये?
सुधरने का जरिया अब मिला है, उसे काम में लाओ,
उसे खो मत देना............
खुश हैं लोग, खुश रहो,
यह मत सोचो क्या खोया?
यह सोचो और क्या खो सकता था?
अपनों में बुराई खोजो तो.
उसे सुधरने का जज्बा भी रक्खो...
जो खुद में अच्छा है उसे सामने लाओ,
बुराई और कमियों को सुधारने का मौका अपने आप मिलेगा.
एक चीज़ सीखा....
" तुम्हे ऐसे ही कुछ भी नहीं मिलेगा, कुछ भी नहीं. और अगर मिलता है तो उसकी क़दर करो, उसे संभल के रक्खो, इश्वर के आशीर्वाद की तरह, वरना छीन लिया जायेगा"